कभी प्रेम की हाला हैं
कभी क्रोध की ज्वाला हैं !
कभी मिलन की आस हैं
कभी जुदाई का एहसास हैं !
कभी पीड़ा के धतूरे हैं
कभी सुखों के वो पल अधूरे हैं !
कभी ममता के यह प्रतीक हैं
कभी यादों के अतीत हैं !
करुणा की सरिता हैं !
अश्रू पवित्र हैं, गंगाजल हैं !
नयन सपनो के घरोंदे सजाते हैं
दिल फूलो के उपवन बसाते हैं !
कल्पनाओ के पंछी डेरा डालते हैं
जीवन का राग सुनाते हैं !
सपने टूटते हैं ,
आँखों में कांच चुभते हैं !
पतझड़ के मौसम में
बाघ भी उजड़ते हैं !
अश्रू में घूल कर यह बह जाते हैं
घावो को दवा कर जाते हैं !
बसंत का बिगुल बजा जाते हैं
फिर से सब पावन कर जाते हैं !
जीवन मात्र साँसों का व्यापार नहीं
यह भावनायो का भी ज्वार हैं !
जीवन बहूत सरल हैं, सजल हैं
क्योकि अश्रू पवित्र हैं , गंगाजल हैं !
-प्रतीक
कभी क्रोध की ज्वाला हैं !
कभी मिलन की आस हैं
कभी जुदाई का एहसास हैं !
कभी पीड़ा के धतूरे हैं
कभी सुखों के वो पल अधूरे हैं !
कभी ममता के यह प्रतीक हैं
कभी यादों के अतीत हैं !
करुणा की सरिता हैं !
अश्रू पवित्र हैं, गंगाजल हैं !
नयन सपनो के घरोंदे सजाते हैं
दिल फूलो के उपवन बसाते हैं !
कल्पनाओ के पंछी डेरा डालते हैं
जीवन का राग सुनाते हैं !
सपने टूटते हैं ,
आँखों में कांच चुभते हैं !
पतझड़ के मौसम में
बाघ भी उजड़ते हैं !
अश्रू में घूल कर यह बह जाते हैं
घावो को दवा कर जाते हैं !
बसंत का बिगुल बजा जाते हैं
फिर से सब पावन कर जाते हैं !
जीवन मात्र साँसों का व्यापार नहीं
यह भावनायो का भी ज्वार हैं !
जीवन बहूत सरल हैं, सजल हैं
क्योकि अश्रू पवित्र हैं , गंगाजल हैं !
-प्रतीक